पेड़ (कविता)
मैं हूँ हरा-भरा एक पेड़फल – फूल से लदा कदापशु-पक्षियों का घर हूँ मैंइन्सानों का मित्र सदा । अगर काट दोगे मुझकोतो छांव कहाँ से पाओगेमित्र बनोगे अगर हमारेखुशहाली तुम पाओगे। डॉ. दीपिका जोशी चौहान
मैं हूँ हरा-भरा एक पेड़फल – फूल से लदा कदापशु-पक्षियों का घर हूँ मैंइन्सानों का मित्र सदा । अगर काट दोगे मुझकोतो छांव कहाँ से पाओगेमित्र बनोगे अगर हमारेखुशहाली तुम पाओगे। डॉ. दीपिका जोशी चौहान